शिव शक्ति धाम डासना मंदिर में लखौरी ईंटों का उपयोग है। इसे देखकर लगता है कि संभवत मुगलकाल में इसका निर्माण हुआ है। मान्यता यह भी है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इसी मंदिर में शरण ली थी।
मंदिर का इतिहास
शिव शक्ति धाम डासना मंदिर में लखौरी ईंटों का उपयोग है। इसे देखकर लगता है कि संभवत: मुगलकाल में इसका निर्माण हुआ है। मान्यता यह भी है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इसी मंदिर में शरण ली थी। मुगलकाल में ही मंदिर को क्षतिग्रस्त भी कर दिया गया था। मंदिर के तत्कालीन महंत ने मुगलों से छिपाकर मंदिर में लगी देवी मूर्ति को तालाब में छिपा दिया। कहा जाता है कि करीब दो सौ साल बाद मंदिर के तत्कालीन महंत जगत गिरि महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और मूर्ति के तालाब में होने की बात कही। उन्होंने तालाब में खुदाई कराकर मूर्ति को निकलवाया और फिर से मंदिर की स्थापना की।
मंदिर की विशेषता
देवी के काली स्वरूप की मूर्ति में जीभ बाहर नहीं निकाली हुई है। वह कमल के फूल पर खड़ी हैं। मूर्ति कसौती के पत्थर की बनी है। इस धातु की कीमत करोड़ों में है। ऐसा दावा किया जाता रहा है कि देवी के इस स्वरूप और धातु की इतनी प्राचीन मूर्ति विश्व में केवल चार जगह है। इनमें शिव शक्ति धाम डासना, हिग्लाज (जो अब पाकिस्तान में है), कोलकाता और गुवाहाटी के पास कामाख्या मंदिर में है। शिव शक्ति धाम में ही स्थापित शिवलिग के ऊपर कितनी बार लेंटर डालकर छत बनाई गई है, लेकिन आज तक उसके ऊपर छत टिकती नहीं है। लेंटर में रात को या अगले दिन ही दरारें पड़ जाती हैं। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिग और देवी के काली स्वरूप के दर्शन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
ऐसे पहुंचे मंदिर
एनएच-9 से होते हुए डासना मार्ग की ओर जाएं। यहां सीधे जाते हुए रास्ते में डासना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पड़ेगा। इससे करीब दो सौ मीटर की दूरी पर चलेंगे तो बाएं हाथ पर मंदिर का बड़ा-सा गेट है। इस पर शिव शक्ति धाम डासना लिखा है।
वर्जन.. नवरात्र के नौ दिनों मंदिर में हवन किया जाता है। इसके अलावा मंदिर में मां भगवती का विशेष तौर पर श्रृंगार किया जाता है। मंदिर काफी प्राचीन होने से दूर-दूर से भक्त मां शिव शक्ति के दर्शन के लिए यहां आते हैं।
यति नरसिंहानंद सरस्वती, पीठाधीश्वर, शिव शक्ति धाम, डासना।
नवरात्र के दौरान मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त मां शिव शक्ति के दर्शन के लिए आते हैं। मां के दर पर भक्त जो भी मनोकामना लेकर आते हैं, मान्यता है कि वह पूरी होती है। सामान्य दिनों में भी बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में मां भगवती के दर्शन के लिए आते हैं।