चिड़ियाघर से लेकर झरने और धार्मिक स्थल तक, देहरादून में सब कुछ है। टपकेश्वर महादेव मंदिर , सहस्त्रधारा , रॉबर्स गुफा, लच्छीवाला पिकनिक स्पाट , मालसी डियर पार्क देहरादून और उसके आस-पास के कुछ लोकप्रिय दर्शनीय स्थल हैं। मसूरी का खूबसूरत हिल स्टेशन देहरादून से सिर्फ़ 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सहस्रधारा
सहस्रधारा देहरादून से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर राजपुर गाँव के पास स्थित है। यहाँ स्थित गंधक झरना त्वचा की बीमारियों की चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध है। इसकी चिकित्सा संबंधी कुछ अन्य उपादेयताएं भी हैं।काफी परिवारों को यहाँ पर मौज-मस्ती करते हुए देखा जा सकता है। खाने-पीने और अन्य तरह की चीजें बेचने वाली दुकानों के होने से यह जगह पिकनिक के लिहाज से बेहद उपयुक्त है।
यह पूरी जगह अपने आप में एक अजूबा है। पहाड़ी से गिरते हुए जल को प्राकृतिक तरीके से संचित किया गया है। यहाँ से थोडी दूर एक पहाड़ी के अंदर प्राकृतिक रूप से तराशी हुई कई छोटी छोटी गुफाएँ है, जो बाहर से तो स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती किंतु इन गुफा में जब प्रवेश करते है तो देखते हैं कि गुफाओं की छत से अविरत रिमझिम हल्की बारिश की बौछारें टपकती रहती है। बस यही सहस्त्रधारा है। चाय पानी नाश्ते का भी सुचारु इंतज़ाम है। कुछ हस्तकला की चीजों की दूकाने भी है।
Gucchu pani (robber’s Cave)
गुच्चू पानी उत्तराखंड के देहरादून में देहरा के पठार में विशाल चूना पत्थर वाले क्षेत्र में स्थित है। देहरादून में पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक गुच्चू पानी है। गुच्चुपानी को अंग्रेजों के जमाने में रॉबर्स केव कहा जाता था यानी डाकुओं की गुफा। इसे डाकुओं की गुफा इसलिए कहते थे क्योंकि उस समय डकैती के बाद डाकू सामान सहित इन्हीं गुफाओं में छुप जाया करते थे। गुफाओं का रास्ता रहस्यमय होने के कारण अंग्रेज यहां पहुंच नहीं पाते थे और डकैत बच जाया करते थे।
गुच्चुपानी में झरना
हालांकि अब गुच्चुपानी पर्यटन स्थल बन चुकी है, जहां लोग घूमने आते हैं। गुफा की खास बात ये है कि यहां अंदर एक झरना है, जिससे गिरने वाला पानी नदी के रूप में पूरी गुफा में फैला है। जितना अंदर जाते हैं पानी का स्तर बढ़ता जाता है। बारिश के दिनों में गुफा के अंदर का पानी अधिक गहरा हो जाता है। घुटनों तक पानी होने पर गुफा में चलने पर काफी सुकून और ठंडक महसूस होती है।
कैसे पहुंचे रॉबर्स केव
अगर आप गुच्चुपानी जाना चाहते हैं तो देहरादून रेलवे स्टेशन से रॉबर्स केव की दूरी लगभग 10 किलोमीटर की है, जहां महज आधे घंटे में पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी ले सकते हैं। 100-150 रुपये में टैक्सी बुक करके जा सकते हैं। इसके अलावा शेयरिंग ऑटो से भी जा सकते हैं।गुच्चू पानी का टिकट 30 रुपये का होता है। प्रवेश द्वार से बाहर ही आपको किराए पर चप्पल मिल जाएगी, जूते उतार कर ही अंदर जाएं क्योंकि पानी में आपके जूते भीग सकते हैं । किराये की चप्पल 10 रुपये में मिल जायेगी।
टपकेश्वर मंदिर……………………………….
टपकेश्वर मंदिर देहरादून से करीब सात किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इसी जगह अश्वत्थामा ने अपनी मां से दूध पीने के लिए मांगा, लेकिन जब उन्हें दूध नहीं मिला तो उन्होंने घोर तप किया। इस पर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और दूध की धारा बहने लगी। दूध शिवलिंग पर टपकने लगा। कलांतर में दूध ने जल का रूप ले लिया।
देहरादून जू (मालसी डियर पार्क)
देहरादून जू मसूरी-देहरादून मार्ग पर स्थित है। यहां आप विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षियों को देख सकते हैं। इसके साथ ही सर्पों के अनूठे संसार को करीब से निहार सकते हैं। यहां आपको पायथन, रस्सल वाइपर, किंग कोबरा, करेत, कॉमन सेंड, कोबरा, वाइन स्नेक, रेटीकुलेटेड पायथन, रैटल स्नेक सहित विभिन्न प्रजातियों के सांप देख सकते हैं।
लच्छीवाला पिकनिक स्पाट :-
लच्छीवाला पिकनिक स्पाट के रूप में पहले से पहचान रखता है लेकिन अब इसे नेचर पार्क के तौर पर विकसित किया गया है। इस नए स्वरूप में यह नेचर पार्क सैलानियों के आकर्षण का केंद्र तो बना ही है, वहां से लोग प्रकृति और अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का संदेश लेकर भी जा रहे हैं।
लच्छीवाला वाटर पार्क पहले केवल पर्यटक गर्मियों में नहाने के इरादे से ही आते थे। वहीं अब इसके नए स्वरूप में आने के बाद से 12 महीने यहां पर्यटक आ रहे हैं। नेचर पार्क में पहुंचने वाले सैलानियों को धरती माता की प्रतिकृति धरा को हरा-भरा बनाने का संदेश देती नजर आती है। इसके साथ ही हर्बल गार्डन में आप औषधीय पौधों से परिचित होते हैं तो बटरफ्लाई गार्डन में रंग-विरंगी तितलियां आल्हादित कर देती हैं। इसी का परिणाम है कि पहले के मुकाबले अब काफी अधिक संख्या में पर्यटक यहां पर आ रहे हैं।
जिससे वन विभाग को भी पूर्व से ज्यादा राजस्व मिला रहा है।इस नेचर पार्क में बने म्यूजियम धरोहर में उत्तराखंड की संस्कृति से लेकर अंग्रेजी शासन काल के समय की तमाम जानकारियां यहां उपलब्ध हैं। धरोहर में जाकर हम उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषण, पारंपरिक बीज एवं अनाज, पारंपरिक उपकरण एवं बर्तन, पारंपरिक चित्रकला, पारंपरिक नृत्य व वाद्य यंत्र आदि की जानकारी ले सकते हैं। वहीं यहां स्थित वीआर रूम भी बच्चों व बुजुर्गों के लिए मनोरंजन का केंद्र बना हुआ है। नेचर पार्क में वोटिंग के अलावा म्यूजिकल फाउंटेन शो का भी पर्यटक आनंद ले सकते हैं। यहां पर लगे विभिन्न प्रकार के झूले बच्चों को खूब मनोरंजन करते हैं वही रोज गार्डन के अलावा औषधीय पौधे व तुलसी वाटिका भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। बाहर से आए पर्यटक मनीष पंवार ने बताया कि लच्छीवाला नेचर पार्क अब काफी अलग स्वरूप में नजर आ रहा है। जो कि पूर्व से बेहतर है। यदि यहां नहाने के लिए भी और अच्छी व्यवस्था की जाएं तो पर्यटकों की ओर अधिक तादाद यहां बढ़ जाएगी।पर्यटकों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।